मैं पग पर पग रख चल रहा हूँ, मैं नई उमंगों की तरंगों सूर्योदय देख रहा हूँ! मैं पग पर पग रख चल रहा हूँ, मैं नई उमंगों की तरंगों सूर्योदय देख रहा हूँ!
इस निविड़ बने जीवन में फिर से आनंद की इक लहर बह जाने दे। इस निविड़ बने जीवन में फिर से आनंद की इक लहर बह जाने दे।
सिद्धार्थ से बुद्ध की आत्मा के परमात्मा का यथार्थ सत्यार्थ।। सिद्धार्थ से बुद्ध की आत्मा के परमात्मा का यथार्थ सत्यार्थ।।
जब अपने बचपन की मासूमियत से महरुम थे हम। जब अपने बचपन की मासूमियत से महरुम थे हम।
सृष्टि को सृजित कर जाती, कुछ शब्दों में, कैसे तोलू, नपे- तुले शब्दों में, कैसे बोल सृष्टि को सृजित कर जाती, कुछ शब्दों में, कैसे तोलू, नपे- तुले शब्दों मे...